संगीत और साहित्य....
[संगीत और साहित्य]
संगीत वीणा की तान, साहित्य जग का मान
एक प्रेम का घोतक, दूसरा सत्य की खोज।
संगीत सुरों की वाणी, साहित्य जग का दर्पण
एक करे पुलकित मन, दूसरा दिखाए मार्ग।
संगीत एक साधना, साहित्य शुध्द भावना
एक सिखाए भक्ति, दूसरा ले जाए उस ओर।
संगीत ही सरस्वती, साहित्य भी वेद-पुराण
एक करो धारण, दूसरा स्वयं चलके आए पास।
संगीत संवारे सृष्टि, साहित्य करे जग का उत्थान
दोनों ही एक दूसरे के पूरक, दोनों ही आधार।
जैसे अर्धनारीश्वर, एक पौरुष दूसरा प्रकृति
दोनों का सम्मलित रूप बने, शिव और शक्ति।
-©®Khushi Kandu Leelanath
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