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【विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 28 जुलाई】

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 ( विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस  २८ जुलाई) मात्र पेड़ नहीं  प्रकृति भी बचानी होगी, हर जीव जन्तु को हर पशु पक्षी को बारिश की बूंदों को बचे कुचे तालाबों को कीट पंतगों को इतना ही नहीं! जो संघर्ष कर रहे हैं  उनका संघर्ष मिटाना होगा। जो विलुप्त हो चुके हैं  उन्हें वापस लाना होगा। आने वाले कल को जीवित रहने योग्य बनाना होगा। जिसके लिए मात्र पेड़ नहीं  प्रकृति भी बचानी होगी .... -©® Khushi Kandu 'Leelanath'

【चौपाई-२】

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   (चौपाई- २) काल चक्र मति ऐसा फेरा। गिरा गर्त छाया अंधेरा।। दया करो हे नाथ हमारे। सकल भूवन जिनके सहारे।। भावार्थ:-  समय ने मेरी बुद्धि को इस प्रकार फेर दिया (भ्रमित कर दिया) कि मुझे उचित अनुचित सब भूल गया फलस्वरूप गर्त (नर्क) में गिर पड़ा हूँ जहां अंधकार ही अंधकार है। जिनके सहारे सारा संसार है और जो सबके स्वामी हैं हम पर दया करें। काल चक्र मति ऐसा फेरा। गिरा गर्त छाया अंधेरा।। २ १  २१   ११  २२   २२,  १२  २१  २ २   २ २२ दया करो हे नाथ हमारे। सकल भूवन जिनके सहारे।। १२  १ २ २  २२  १२२,  १११    २२   ११२   १२२

【चौपाई】

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चौपाई-१ तन पे परै जो काट हमहूँ। विचलित ना हो प्रभु मन कबहूँ।। दे आशीष हमें कुछ ऐसा। धीरज धरै दूर हो क्लेशा।। भावार्थ:- हे प्रभु! इस तन पर जो भी बीते, उसको सहजता से काटूं, और हमारा मन कभी इससे विचलित ना हो। हे प्रभु! हमें कुछ ऐसा ही आशिर्वाद दीजिए कि हर परिस्थिति में हम अपना धैर्य बनाए रखें और शीघ्र ही सारे दुःख क्लेश दूर हों जाए। तन/ पे/ परै/ जो/ काट/ हमहूँ। विचलित/ ना/ हो/ प्रभु/ मन २/  २/ १२/  २/ २१/  २२,     २ २/    २/   २/ ११/    २/ कबहूँ। २ २ दे/ आशीष/ हमें/ कछु/ ऐसा। धीरज/ धरै/ दूर/ हो/ क्लेशा।।  २/ २२१/ १२/ २/ २ २,  २ २/  १२/  २१/  २/     २२