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【मंदिर-मस्जिद में फ़र्क दिखाए मुझे】

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बंटवारे से हम भी थोड़े प्रेरित हुए,  इसलिए हमारे शब्द भी इसी पर केन्द्रित हुए। कोई ज्ञानी हो तो बताए मुझे  मंदिर व मस्जिद में फ़र्क दिखाए मुझे। मैंने तो सुना था ईश्वर एक है किन्तु यहां आकर मैंने जाना! भगवान अनेक है।। उसका रंग अलग  एक ने चुना लाल रंग तो दूजे हरे रंग से शान बढ़ाते हैं। उसका रूप अलग एक के माथे पर मोर मुकुट तो दूजे को टोपी पहनाते हैं उसकी बनावट अलग  एक को निराकार तो दूजे को सकार ब्रह्म दिखाते हैं।। उसकी सजावट अलग एक को आभूषणों से तो दूजे को केवल चादर चढ़ाते हैं उसकी भाषा अलग एक को उर्दू तो दूजे को संस्कृत से दर्शाते हैं। उसकी परिभाषा अलग। हाय! परिभाषा में ना जाने लोग क्या-क्या बतलाते हैं।। बस इन्हीं आधारों पर कर दिया पृथक ईश्वर-अल्लाह को अब हर रोज़ मज़हब के नाम पर लड़वाते हैं। व्यथित हो रहा ये मन मेरा  आख़िर कब अंत होगा इस व्याग्रता का जिसको हम व्यर्थ में सहते जाते हैं।। काश! समझ पाता यह मानव प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं क्यूं बेवजह हम एक-दूजे का रक्त बहाते हैं। ना कोई स्थाई सदस्य है इस दुनिया का फिर भी हम चार-दिन की ज़ि