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Showing posts from May, 2018

विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून पर विशेष।

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                              प्रकृति और नारी। 'प्रकृति   और नारी' बड़ी निराली है, तेरी ज़िदंगानी; चंद लफ्ज़ो में बयां नहीं कर सकती, मैं तेरी कहानी।।               प्रकृति और नारी के गुणों को चंद शब्दों में व्यक्त नही किया जा सकता। दोनों ही स्वयं में अथाह सागर की भांति हैं। क्योंकि दोनों का ही श्रेत्र सीमा अति व्यापक है, जिस प्रकार प्रकृति सम्पूर्ण धरती को स्वयं में समेटे हुए, उसे सहेजती है ठीक उसी प्रकार से एक नारी भी अपने सम्पूर्ण परिवार को समर्पित उसका पालन-पोषण करती है।        यदि प्रकृति और नारी की तुलना की जाए तो दोनों ही समान हैं, जिस प्रकार नारी "चंचलता और गम्भीरता" दोनों ही गुणों को आत्मसात करते हुए समय-समय पर अनेक रूप धारण करती है, 'उसे अनेक रिश्तों की संज्ञा दी जाती है।' उसी प्रकार प्रकृति में भी "चंचलता और गम्भीरता" जैसे गुण पाए जाते हैं। जैसे- तेज़ चलती हुई हवा चंचलता का परिचायक है, और रूका हुआ शांत जल अपनी गम्भीरता का परिचय देता है।  उपर्युक्त गुण इनके विशिष्ट गुणों में से एक है।  किन्तु प्रकृति और नारी को सिर्फ़ इन्हीं गुणों तक स

मातृ दिवस पर विशेष चर्चा।

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" मांं"  वह शब्द है जिसमें अर्थ ही अर्थ है; जिसकी तुलना किसी और से करना व्यर्थ है। इस रिश्ते का कोई मोल नही है; यह रिश्ता सबसे अनमोल है। यदि हम मां के बारे में चर्चा करें तो शायद शब्द कम पड़ जाएंगे।  यदि हम ज़िक्र करें इक मां और बच्चे के रिश्ते के बारे में तो शायद ही उसे शब्दों में पिरोया जा सकता है। क्योंकि मां शब्द अपने आप में बहुत ही विस्तृत है। यदि हम बात करें "क्या होती है इक मां की भूमिका हमारे जीवन में ?" तो शायद ही उसके स्वरूप को भली-भांति व्यक्त किया जा सकता है। मां ही हमारी जननी है, मां हमारा पालन-पोषण करती है, मां ही हमारे खुशियों का ख़्याल रखती है, और हर वक्त व हर पल मां ही हमारे साथ खड़ी होती है। इसीलिए मां का होना बेहद ज़रूरी है, इसलिए मां का सम्मान करें और अपने ख़्याल से पहले रखें मां का ख़्याल, क्योंकि बिना मां के नहीं बनती किसी की ज़िंदगी मिसाल। मां का रिश्ता होता ही बहुत खास है, बहुत ही प्यारा-निराला और सर्वोपरि सबसे ऊपर होता है मां का रिश्ता। मां का रिश्ता भगवान् से भी ऊपर होता है, क्योंकि हर वक्त, हर पल, हर जगह भगवान् नही पहुं