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【चौपाई-२】

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   (चौपाई- २) काल चक्र मति ऐसा फेरा। गिरा गर्त छाया अंधेरा।। दया करो हे नाथ हमारे। सकल भूवन जिनके सहारे।। भावार्थ:-  समय ने मेरी बुद्धि को इस प्रकार फेर दिया (भ्रमित कर दिया) कि मुझे उचित अनुचित सब भूल गया फलस्वरूप गर्त (नर्क) में गिर पड़ा हूँ जहां अंधकार ही अंधकार है। जिनके सहारे सारा संसार है और जो सबके स्वामी हैं हम पर दया करें। काल चक्र मति ऐसा फेरा। गिरा गर्त छाया अंधेरा।। २ १  २१   ११  २२   २२,  १२  २१  २ २   २ २२ दया करो हे नाथ हमारे। सकल भूवन जिनके सहारे।। १२  १ २ २  २२  १२२,  १११    २२   ११२   १२२