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【छपाक से....】

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छपाक से। (Chhapaak Se) A Poetry Dedicated To All Acid Victim. जल जैसी कुछ बूंदे जब गिरी मेरे  मुखमण्डल पर छपाक से। तब बड़ा ही सुखद एहसास हुआ किन्तु तुरंत मुझे कुछ आभास हुआ। अरे! यह तो शीतल जल नहीं यह कुछ ज्वलनशील सा है। ये क्या है? जिसका मुझे पता नही जिसका अनुभव भी बिल्कुल नया है। जल रही हो त्वचा जैसे; क्या सचमुच ऐसा है? जिसका भलीभांति मुझे पता नहीं। यदि ऐसा ही है, और यही सच है जो 'एक अनहोनी' और अमिट है। लेकिन मुझे कहां पता था कि  दुनिया में ऐसी भी कोई चीज़ है। जो खुद्दारों के लिए बड़ा ही अज़ीज़ है। जिनके प्रतिशोध का यह हथियार है जो हमारे जीवन में जबरदस्ती हिस्सेदार हैं। जिनके ज़हन में इनकार शब्द ही नहीं वो तो मात्र मनमानी के तलबगार हैं। जिन्हें आता नहीं जीने का सलीक़ा  समझते हैं खुद को दुनिया का ख़लीफ़ा। जो मात्र बीभत्स में आकर करते ये काम हैं मानो इनका जिना भी यहां हराम है। जिनके पास मन, मस्तिष्क, चेतना, सब विद्ममान हैंं। फिर भी निर्दयता से पूर्ण, बने ये अज्ञान हैं।                                            ©®-K.K. 'Leelanath'