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मोहब्बत का वो दौर लाओ....

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  यारो कोई तो मोहब्बत का वो दौर लाओ वो ग़लिब की शायरी बेग़म का शोर लाओ। ..... सदियों से मेरा महबूब मिलने नहीं आया इल्तिजा है मेरी कोई उसे मेरी ओर लाओ।  ..... ग़ुमसुम है कहीं, कोई तो उसे याद दिलाओ बांध सके हम दोनों को ऐसा कोई डोर लाओ। ..... ऐ ख़ुदा! जल्द ख़त्म हो हम दोनों की मसाफ़त हम फिर से मिले वहीं, रास्ते का वो छोर लाओ।