【मैं ऐसी नारी नहीं !】


छोड़ दिया उसने तो टूट जाऊँ
मैं ऐसी नारी नहीं।।

पुनःडूब जाऊँ उसकी स्मृतियों में 
आती ऐसी कारीगरी नहीं।।

दुष्ट के साथ दुष्टता करूं
मुझे ऐसी दुष्टता प्यारी नहीं।।

पौरूष का जो दम्भ भरे,
बुद्धि नहीं क्रोध से।
प्रेम नहीं मोह से।।

योग नहीं भोग से 
काम और लोभ से।।

उसने अपनी बुध्दिमत्ता को नहीं
अपनी तुच्छता को दिखाया है।
मैं क्यूँ डरूँ मैंने क्या गंवाया है।।

 मेरा बस इतना दोष है
कि मैं एक नारी,
अभागिन, अबला, बेचारी हूं।
ऐसा कहती दुनिया सारी है!

किन्तु! यह मात्र एक भ्रम है
सत्य नहीं असत्य है

नारी ही शिव की शक्ति है
ब्रह्माण्ड की भक्ति है।।

नारी ही दुर्गा है
नारी ही काली है
नारी ही घर की निष्ठा है
संसार की प्रतिष्ठा है।।

अगर नारी सृजनकारी है,
तो नारी ही संहारकारी है।।

जो अधर्मी, जो अत्याचारी है।
जिनपर उनके ही पापों का बोझ भारी है।
उनके लिए रौद्र रुप धारण कर बनती रूद्राणी है
बनती रूद्राणी है....
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Comments

  1. Aap kay kamal ka likte ho ji #khushi ji salam h aap ko🙏

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  2. Wow bhut khub 👌👌👌👌👏👏👏❤️

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  3. Great 👍👍👏👏👏👏👏👏

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  4. Super duper di👌👌👌👌

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  5. Amazing line..��
    Nice work ✌️��

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