{विश्व रंगमंच दिवस।}
(विश्व रंगमंच दिवस २७ मार्च )
इस धरा पे रची बसी इक और नयी मिसाल ।
किरदारों से अपने है रचता इक नया इतिहास ।
गली नुक्कड़, नाटक आदि, हैं इसके अनेक नाम।
कभी सांवली कभी सवेरा बनकर,
है करता जग का उत्थान।
कभी राम कभी रहीम बनकर, कलाकार
है देता इसको इक नया मुकाम।
हर रोज़ गढ़ी जाती हैं इस घर में इक नयी कहानी।
भव्यता नही सूक्ष्मता से, अश्लीलता नही शालीनता से
ये ज़िक्र नही है फिल्मों का,
ये है हमारे रंगमंच की पहचान।
Comments
Post a Comment