रुकना मना है...
यहाँ रुकना मना है ;
हालातों से लड़ना नही।
संघर्ष करते जाना ;
कभी ठहरना नही।
चलते ही जाओ ;
रास्ते ख़ुद करीब आएंगे।
फिर ग़म नही ;
तेरे होंठ मुस्कुरायेंगे।
आज वक्त को तेरे;
हुनर की तलाश है ।
इसीलिए तू अभी से ;
इसे तरास ले।
नामुमक़िन नही बस ;
ज़रा सा मुश्क़िल है।
जी हाँ ये वही शुरुआत है;
फिर ख़ुद कहोगे!
आगे का रास्ता तो
बड़ा ही साफ है।
बस सब्र से काम लेना;
और ज़रा सा ध्यान देना।
कि कहीं कोई ;
कर ना दे गुस्ताख़ी
और बेईमानी से छीन ले बाज़ी।
भला क्या कसूर उसका;
वो भी तो वक्त का मारा है।
हो सके तो तुम ;
बनना उसका भी सहारा ।
सेवा पोशी करके तुम;
तुच्छ नही महान बनोगे ।
जन-जीवन के लिए भगवान बनोगे।
कमज़ोर का सहारा बनना;
शक्तिशाली का नही।
उसकी दुआ से तेरा
हाथ ना होगा खाली कभी।
बस ऐसे ही चलते जाना;
कभी रुकना नही ।
संघर्ष करते जाना ;
कभी ठहरना नही ।
https://khushithought.blogspot.com
👌👌👌
ReplyDeleteKay Kamal ka likhte ho superb 👌
ReplyDeleteTahe-e-Dil se Shukriya aapko ❤
DeleteBahut achhe
ReplyDelete.
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Shukriya Vipin ji.
DeleteVery nice...poetry 😊😊
ReplyDeleteThank you.
DeleteNice One Khusi ��
ReplyDeleteThanks alots Angad❤
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