विश्व कविता दिवस पर विशेष

काव्य के बिना संसार की कल्पना करना मात्र निरर्थक ही नहीं, नीरस भी है।
ब्रह्मा दारा सृष्टि की रचना किये लाखों और करोड़ों बर्ष पश्चात भी काव्य और कला की लोकप्रियता जैसी की तैसी है। ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की निमार्ण और पृथ्वी पर मनुष्यों की उत्पत्ति के बाद भी वह अपने इस कार्य से असंतुष्ट रहते हैं। तत्पश्चात माँ सरस्वती ब्रह्म देव द्वारा आज्ञा पाकर काव्य, कला और संगीत का निर्माण करती हैं। जिस कारण इनको संगीत की देवी भी कहा गया।
हालाँकि इस आधुनिक युग में मनोरंजन के कई और साधन भी मौजूद हैं। आज सबसे बड़ा मनोरंजन का साधन चलचित्र  (फिल्में) हैं। किन्तु इतिहास में काव्य, कविताएँ और कवियों की अपना अलग स्थान रहा है। प्रथम विश्व कवि महर्षि वाल्मीकि ने "रामायण" जैसे महाकाव्य की रचना कर इस संसार को प्रेम, त्याग, क्षमा, बलिदान, और एकता का संदेश देते हुए अपनी इस उत्कृष्ट काव्य-रचना को सदा - सदा के लिए अजर अमर किया है।
इसी कड़ी में "महाभारत" भी काव्य की दुनिया में अलग इतिहास रचता है। अगर बात करें इस आधुनिक युगीन काव्य की तो इस युग में भी काव्यों का महत्व कम नही है।
युगों युगान्तर से चले आ रहे काव्य समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं।
जैसा कि मैंने  ऊपर लिखा है कि- बिना काव्य और कला के यह संसार नीरस होता। हमारे धार्मिक ग्रन्थों में भी कहा गया है कि- "बिना संगीत और कला के मनुष्य पशु समान है"।

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