कोरोना- एक प्राकृतिक आपदा के रूप में....

(कोरोना)

कोरोना एक महामारी है
कुदरत की चिंगारी है।

है रुष्ट अब धरा भी
प्रकृति का ह्रास हुआ।

है जनजीवन संकट में
सत्य का नाश हुआ।

जल, थल, नभचर का 
घर मानव ने उजाड़ा है।

उनका भी हक़ है धरती पर
आख़िर उन्होंने क्या बिगाड़ा है?

पृथ्वी की गोद में सबको
समान अधिकार है।

जो ना समझे इस मर्म को
उसको धिक्कार है।

प्रकृति का दोहन छोड़ के
प्रति मानव पेड़ लगाओ।

विकास गति थोड़ी धीमी कर
इस संसार को स्वर्ग बनाओ।

- ©ख़ुशी कान्दू









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