◆ Depression (अवसाद), शिकार या सुधार। किस स्थिति में हैं आप? ◆

(विश्व स्वास्थ्य दिवस ७ अप्रैल)

"डिप्रेशन (अवसाद) एक प्रकार की मानसिक बिमारी व आशांति है।" 

 अवसाद का सम्बन्ध मस्तिष्क के उन हिस्सों से है, जहां से निद्रा, जागरण व चेतना की स्थिति नियंत्रित होती है।      

क्या है कारण?

  सामाजिक व पारिवारिक कारण:-

 आज के दौर में डिप्रेशन (अवसाद) का शिकार होना बहुत सामान्य सी बात बन गई है। एक सामान्य व्यक्ति भी कब डिप्रेशन का शिकार हो जाता है पता ही नहीं चलता। आज व्यक्ति मानसिक दृष्टि से इतना कमजोर हो चुका है कि उसके जीवन में ज़रा सा उतार-चढाव क्या आता है, कि उस विषय में इतना सोचता है कि खुद को अवसाद ग्रस्त बना लेता है और यही अवसाद उसे अत्महत्या की ओर ले जाता है। वर्तमान में युवा वर्ग विशेष कर स्टूडेंट्स में यह अधिक देखने को मिलता है। बड़े होने के साथ-साथ पढ़ाई का दबाव और जिम्मेदारियों का बढ़ना उन्हें असहज और अप्रिय माहौल लगने लगता और जब वे उसमें जल्दी सामांंज्स्य नहीं बिठा पाते तब लगातार उस बारे में सोचने लगते हैं और यह उन्हें बड़ा ही असम्भव सा लगता जिसको लेकर वे बहुत चिंतित हो जाते हैं। जो आगे चलकर उनकी यह स्थिति 'अनिद्रा' में बदल जाती है और अवसाद को जन्म देती है। 

   इसके साथ ही डिप्रेशन (अवसाद) के और कई मुख्य कारण हैं। किसी व्यक्ति विशेष से घनिष्ठ सम्बन्ध होने पर उससे बिछड़ने और सम्बन्ध टूटने की दशा में भी अवसाद उत्पन्न होता है। 

                   आनुुवांशिक कारण:- 

न्यूरोट्रांसमीटर (एक प्रकार का रसायन है, जो संकेतों को प्रसारित करने का कार्य करता है) दिमाग मेें इस रसायन की कमी अवसाद का मुुख्य कारण है। 'न्यूरोट्रांसमीटर' दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों को कड़ी की भांति जोड़ने का कार्य करता है। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था प्रभावित होती है और व्यक्ति में 'अवसाद' के लक्षण दिखाई देते हैं। 

     लक्षण:-

अवसाद के कारण निर्णय लेने में समस्या, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरूचि, आलस्य, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन आदि हैं। अवसाद के मुख्य कारणों में से चिंता (एंग्ज़ाइटी) भी है। 

मनोचिकित्सा के अनुसार:- अवसाद को भी कई श्रेणी में रखा गया है। 1-"एकध्रुवी अवसाद"(Unipolar Depression) मेें व्यक्ति लगातार उदास रहता हैै, उसका आत्मविश्वास निम्न स्तर पर आ जाता है, आनंददायी चीजों सेे उसकी रूचि पूर्णतः समाप्त हो चुकी होती है, व्यक्ति को असक्षम बना देेेता है। जिसे ('मुख्य अवसादी विकार' Major Depressive Disorder, MDD) भी कहते हैं। जिससेे व्यक्ति का कार्यस्थल, पारिवारिक व सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है।
2- "द्विध्रुवी अवसाद" (Bipolar Depression)- इसमें व्यक्ति की मनोदशा हमेशा एक जैसी नहीं होती है लगातार बदलती रहती है। जिससे व्यक्ति में अवसाद के अलावा "सनक व उन्माद" के भी लक्षण दिखाई देते हैं। सनक की स्थिति में व्यक्ति अति आशावादी हो सकता है, अपने बारे में बढ़ी-चढ़ी धारणा रख सकता है। जैसे- (मैं बहुत धनी, क्रियाशील, शक्तिशाली, बिना कारण भाषण,बयान बाजी करना व ज्ञान बांटना। और भी लक्षण हो सकते हैं।)

  उपाय:-


इस समस्या के समाधान के रूप में ध्यान, योग, प्रणायाम ये बहुत ही सहायक सिद्ध हुए हैं। 
      अमेरिका में शोध के मुताबिक:- यदि व्यक्ति लगातार "सकारात्मक सोच" का अभ्यास करता है, तो Depression (अवसाद) की स्थिति से जल्दी निजात पा सकता है। 
1- व्यक्ति को खुशनुमा माहौल में रखें।
2- उसे कभी अकेला ना छोड़ें।
3- उसकी रूचियों को प्रोत्साहन करें।
4- उसमें आत्मविश्वास जगाएं।   
      इसके अतिरिक्त मनोचिकित्सा पद्धति का भी सहारा लिया जा सकता है। जिसमें (Electroconvulsive Therapy ECT "विद्युत-आक्षेपी चिकित्सा") के द्वारा रोगी को काफी हद राहत मिलती है। यह काफी सरल वा सुरक्षित उपचार है। 
    
   यह मानसिक रोग बहुत ही जटिल है, किन्तु इसका उपचार बहुत ही सरल और सुगम हैं। अपने नित्य दिनचर्या में ध्यान व योग को भी शामिल करें और सुखी तन-मन तथा दीघार्यु को प्राप्त करें। 






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