【On the spot!】
दो शब्द....✍
यह कहानी नहीं कड़वा अनुभव है, मेरे जीवन का जिसे मैंने संवारा है।
यह कल्पना नहीं हकीकत है। जिसे मैंने शब्दों में पिरोकर पन्नों पर उतारा है।
यह कल्पना नहीं हकीकत है। जिसे मैंने शब्दों में पिरोकर पन्नों पर उतारा है।
यूं तो सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, जिसमें कई व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में सामंजस्य बना लेते हैं और आगे निकल जाते हैं, किंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जीवन में आने वाली चुनौतियों को विकट समस्या मानकर उसी में उलझे रहते हैं और जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते।
वैसे मैं बात कर रही हूं मेरे साथ घटी एक घटना के बारे में जिससे मैं आहात तो नहीं कहूंगी, 'लेकिन परेशान ज़रूर हो गई थी।' साथ ही बैचेन भी। कि आख़िर मैंने ग़लती की कहां? यही सवाल बार-बार मेरे मन को कूरेद रहा था।
दरअसल हम सभी रंगमंच के कलाकार अपनी भावी नाटक का पूर्वाभ्यास कर रहे थे, और हुआ ये कि पूर्वाभ्यास के दौरान पता चला कि हमारे कुछ साथी कलाकार नहीं आएंगे। तभी हमारे डायरेक्टर (सर) ने आदेश दिया कि, फला वयक्ति का डायलॉग मुझे पढ़ना है। मैंने स्क्रिप्ट उठाया और पढ़ना शुरू किया। ज्यों का त्यों मैंने उस डायलॉग को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पढ़ा, किन्तु बीच-बीच में मैं थोड़ा रूक- रूक कर पढ़ी। ऐसा इसलिए हुआ कि वो मेरा डायलॉग नहीं था, और ना मैंने इस डायलॉग की पहले रीडिंग कि थी।
ज्यों ही मैंने डायलॉग खतम किया और अपनी जगह पर आकर बैठी तभी उस नाटक की मेन एक्टर जोकि हम सबकी सीनियर (एक महिला साथी कलाकार) थी। उन्होंने मुझे समझाते हुए कहा- तुमने स्क्रिप्ट को ठीक ढंग से नहीं पढ़ा है, पढ़ने की आदत डालो और इसमें सुधार करो। लेकिन शायद वो ये बताना भूल गयीं कि मैंने ग़लती कहां की है? और सुधार किसमें करूं?
और यही प्रश्न बार-बार मेरी इच्छाशक्ति (Willpower) को कमज़ोर कर रहा था। मैं और भी बेचैन हो उठी मुझसे रहा नहीं गया। आख़िरकार मैंने अपने बगल में बैठे हुए साथी कलाकार से पूछ ही लिया। आख़िर मैंने ग़लती कहां की।
उसके एक मात्र जवाब से मेरे मन में चल रहे सारे संशय दूर हो गए।
उसने भी वही कहा- पहला यह तुम्हारा डायलॉग नहीं था, दूसरा तुमने इसकी पहले रीडिंग नी की। सो इसलिए ऐसा हुआ। वैसे उनकी कही बात को दिल पर मत लो। तुमने भी ठीक पढ़ा और उन्होंने जो समझाया अच्छा ही समझाया।
वैसे मैं बात कर रही हूं मेरे साथ घटी एक घटना के बारे में जिससे मैं आहात तो नहीं कहूंगी, 'लेकिन परेशान ज़रूर हो गई थी।' साथ ही बैचेन भी। कि आख़िर मैंने ग़लती की कहां? यही सवाल बार-बार मेरे मन को कूरेद रहा था।
दरअसल हम सभी रंगमंच के कलाकार अपनी भावी नाटक का पूर्वाभ्यास कर रहे थे, और हुआ ये कि पूर्वाभ्यास के दौरान पता चला कि हमारे कुछ साथी कलाकार नहीं आएंगे। तभी हमारे डायरेक्टर (सर) ने आदेश दिया कि, फला वयक्ति का डायलॉग मुझे पढ़ना है। मैंने स्क्रिप्ट उठाया और पढ़ना शुरू किया। ज्यों का त्यों मैंने उस डायलॉग को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पढ़ा, किन्तु बीच-बीच में मैं थोड़ा रूक- रूक कर पढ़ी। ऐसा इसलिए हुआ कि वो मेरा डायलॉग नहीं था, और ना मैंने इस डायलॉग की पहले रीडिंग कि थी।
ज्यों ही मैंने डायलॉग खतम किया और अपनी जगह पर आकर बैठी तभी उस नाटक की मेन एक्टर जोकि हम सबकी सीनियर (एक महिला साथी कलाकार) थी। उन्होंने मुझे समझाते हुए कहा- तुमने स्क्रिप्ट को ठीक ढंग से नहीं पढ़ा है, पढ़ने की आदत डालो और इसमें सुधार करो। लेकिन शायद वो ये बताना भूल गयीं कि मैंने ग़लती कहां की है? और सुधार किसमें करूं?
और यही प्रश्न बार-बार मेरी इच्छाशक्ति (Willpower) को कमज़ोर कर रहा था। मैं और भी बेचैन हो उठी मुझसे रहा नहीं गया। आख़िरकार मैंने अपने बगल में बैठे हुए साथी कलाकार से पूछ ही लिया। आख़िर मैंने ग़लती कहां की।
उसके एक मात्र जवाब से मेरे मन में चल रहे सारे संशय दूर हो गए।
उसने भी वही कहा- पहला यह तुम्हारा डायलॉग नहीं था, दूसरा तुमने इसकी पहले रीडिंग नी की। सो इसलिए ऐसा हुआ। वैसे उनकी कही बात को दिल पर मत लो। तुमने भी ठीक पढ़ा और उन्होंने जो समझाया अच्छा ही समझाया।
जो इंसान तारिफ़ो के पुल बांधे, वो इंसान सच्चा नहीं।
जो इंसान आपकी ग़लती बता दे, उस इंसान से अच्छा कोई नहीं।
और तो और इस घटना के बाद उसने जो भी कहा, वो बात मेरे दिल को छू गई। यहां चीजें 'ऑन द स्पॉट' होती हैं।
"अवसर हर व्यक्ति के पास खुद चलकर आता है। बस आपको ध्यान की ज़रूरत है। 'ऑन द स्पॉट' आपको उस 'अवसर' को गम्भीरता से लेने की ज़रूरत है, और 'ऑन द स्पॉट' अपना बेस्ट देने की ज़रूरत है।"
अन्यथा वो 'अवसर' बेअसर हो जाता है। जैसा की मेरे साथ हुआ। ग़र मैं 'ऑन द स्पॉट' अपना बेस्ट दे पाती तो शायद वो कैरेक्टर मेरे हिस्से में होता।
-Khushi Kandu'Leelanath'
-Khushi Kandu'Leelanath'
Ye tumne hi likha hai ?
ReplyDeleteYes Madam ☺
DeleteKay baat Khushi ji superb 👌
ReplyDeleteThank you.
Deleteजो इंसान हमारी अच्छाई और कमियां दोनों से अवगत कराए वह इंसान सदैव
ReplyDeleteहमारा हितैसी होता है ।
यह परिस्थितियां हमारे जीवन में आती रहेंगी इससे निराश नहीं होना है , यह परिस्थितियां हमें भविष्य के लिए बहुत सीख देती है ।
जी आपने बिल्कुल सही कहा।
Deleteमैं सहमत हूं आपकी बात से।
बहुत बहुत अभार आपका।
धन्यवाद🙏
All superb line..��
ReplyDeleteNice work
Thanks alots ❤
Deleteबहुत सही कहा आपने
ReplyDeleteजी धन्यवाद आपका।
DeleteGood Job Keep It Up 👌❤
ReplyDeleteThank you Angad ❤
Deleteये छोटे-छोटे अनुभव ही हमे परिपक्व बनाते है।
ReplyDeleteजी सही कहा आपने।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद।🙏
Too good, n one thing I notice that, की कुछ लोग हमें गलत तो बोल देते हैं, लेकिन हमारी गलती कहाँ है ये नही बता पाते हैं, जो की सबसे बड़ी गलती तो यही है 🙂
ReplyDeleteYes! Bro you're right.
DeleteThank you my real supporter ❤😘
Great dear I'm inspire your story. It's fact of life.
ReplyDeleteThanks alots my dearest ❤❤❤❤
ReplyDeleteTrue this..
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