【बेज़ार】

 


हर शय बेरंग लगे, हर शख़्स बेज़ार

दुनिया में कोई मीत नहीं ना ही यार।


भूलूं किस हमदम को किसे करूँ याद 

ना ही कोई इश्क़ मेरा ना कोई प्यार।


मुस्कान नहीं लब पे आंखों में है आब

ख़ुशियाँ बिकती तो खरीद लूं बाज़ार।


विरान पड़े रस्ते पेड़ों पर नहीं शाख

बन गए रहज़न सब आंखों में अंगार।


                - ©® K. K. Leelanath


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