【घर से दूर मैं मजबूर】
बात उन दिनों की है जब मैं लखनऊ में शास्त्रीय संगीत की छात्रा थी। घर से दूर इक अज़नबी शहर में रहते हुए हर छोटे-बड़े अनुभव को आत्मसात करने की कोशिश कर रही थी। ऐसे भीड़ -भाड़ वाले शहरो में हर रोज़ कुछ ना कुछ घटनाएं अवश्य होती रहती हैं। इन सब घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए, मैं खुद को उस परिवेश में ढालने की कोशिश कर रही थी। यह मेरा शुरूआती दौर तो नही था, "यथा- तथा लगभग दो वर्ष बीत चुके थे" फिर भी मैं यहां के अपरिचित लोगों से भयभीत रहती थी। जैसा कि हर लड़की के साथ होता है। शुरुआत के दो वर्ष मैं अपने ही कॉलेज की शिक्षिका के साथ रही। जो की मेरी शिक्षिका कम गुरु माँ और बड़ी बहन ज्यादा थीं। हां वो थोड़ी क्रोधित स्वाभाव की थीं पर साथ में साफ दिल और स्पष्टवादी महिला भी थीं। इस प्रकार उनके साथ रहते हुए लोगों से अच्छी खासी पहचान बनना स्वाभाविक है।
तत्पश्चात मुझे किसी कारणवश उस कॉलेज से अपनी पढ़ाई और उनका साथ छोड़ना पड़ा किन्तु मैंने संगीत सीखना जारी रखा। उन दिनों मेरी क्लास सुबह हुआ करती थी। जोकि एक घंटे की क्लास और उसमें भी मैं दस मिनट लेट पहुंचती थी। हर रोज़ की तरह मैं उस दिन भी उठी और नित्यकर्म से निपट कर तैयार होकर क्लास के लिए जाने लगी जो कि मेरे हॉस्टल से कुछ ही दूरी पर था। देर ना हो इसलिए मैं तेज़ गति से चल रही थी,
तभी मेरे पीछे आ रहे एक उम्रदराज व्यक्ति ने आवाज़ दिया- "बेटा क्या टाईम हो रहा है?" मैंने पहले अपना फोन चेक किया फिर उसको टाईम बताने के लिए पीछे मुड़ी और देखा कि, वो व्यक्ति मेरे पीछे से आकर मेरे साथ-साथ चलने लगा। कुछ कदम चलने के बाद वह मेरे बारे में जानने की चेष्टा करने लगा। "क्या करती हो, कहां रहती हो, किस कॉलेज में हो?" नाना प्रकार के सवाल करने लगा। जैसा कि हमें भली-भांति मालूम है कि ,किसी अपरिचित को अपने बारें में बताना यानी अपने पैर में खुद कुल्हाड़ी चलाने के बराबर है। यथा तथा मैंनें भी बात को घुमाते हुए झूठ में जवाब दिया। वो मूढ़ व्यक्ति जैसा कि उसका वही पेशा था, लोगों को बेवकूफ बनाना। तभी वह बातों-बातों में अपने जेब से तेल की एक पुड़िया निकालते हुए यह कहता कि- "मैं तुमको फूंक मार दिए देता हूं, जिससे तुम अपने कार्य में अवश्य सफल होगी, खूब तरक़्क़ी करोगी, फला-फला" मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि ये क्या हो रहा है। एक ठीक-ठाक दिखने वाला उम्रदराज व्यक्ति जिसका मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक नज़र आ रहा था, वह ये सब क्या बोल रहा है और कर क्या रहा है। सब मेरे समझ से परे था। वह कुछ बड़बड़ाए जा रहा था। वह इससे आगे कुछ बोलता कि मैं उसको टोकते हुए चिल्लाई- "ये क्या कर रहे हैं आप, ये क्या जादू-टोना और मंत्रोच्चारण लगा रखा है आपने।" इस उम्र में आपको यह सब करते हुए शर्म नही आती है। इसके आगे मैं कुछ और बोल पाती कि वह तेज़ी से अपना कदम बढ़ाया और चलता बना लेकिन मैं वहीं स्तब्ध खड़ी उसे एकटक देखती रही तथा सोच रही थी कि इस तरह भी कोई अनजान व्यक्ति आपको बेवजह परेशान कर सकता है। यह अनुभव मेरे लिए बिल्कुल नया था साथ ही हैरान करने वाला भी।
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It's fact dear. But i know you are my daring sis,you can handle everything.😘😍
ReplyDeleteThanks alots my dearest. You all are my strengths.❤🙏🙏
Deleteamazing written.. interesring too.
ReplyDeleteThank you ❤❤..
DeleteYes! Everything is possible in your life..take care everytime of your own respect...
ReplyDeleteThanks alots for this precious comment ❤❤❤❤
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