बिदाई बंसत की....
बंसत ॠतु है घर जाने वाली
अब गर्मी है आने वाली।
खोल के रख लो खिड़की-दरवाजे
भर के रख लो हवा को सारे।
मौसम का कोई ईमान नही
जैसा भी हो, थोड़ा सा बेईमान सही।
बदलेगा तो हम भी बदल जाएंगे
हम भी इसके साथ कदम मिलाएंगे।
कमर कस लो सारे वासी
हारना नही है मौसम की बाज़ी।
बिमारी ना दस्तक दे
इसलिए करना है ज़रा सफाई।
जन-जन को है जागरूक करना
बंसत ॠतु है घर जाने वाली।
अब गर्मी है आने वाली
इसलिए कर लो अभी से तैयारी।khushithought.blogspot.in
अब गर्मी है आने वाली।
खोल के रख लो खिड़की-दरवाजे
भर के रख लो हवा को सारे।
मौसम का कोई ईमान नही
जैसा भी हो, थोड़ा सा बेईमान सही।
बदलेगा तो हम भी बदल जाएंगे
हम भी इसके साथ कदम मिलाएंगे।
कमर कस लो सारे वासी
हारना नही है मौसम की बाज़ी।
बिमारी ना दस्तक दे
इसलिए करना है ज़रा सफाई।
जन-जन को है जागरूक करना
बंसत ॠतु है घर जाने वाली।
अब गर्मी है आने वाली
इसलिए कर लो अभी से तैयारी।khushithought.blogspot.in
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