【चौपाई】
चौपाई-१
तन पे परै जो काट हमहूँ। विचलित ना हो प्रभु मन कबहूँ।।
दे आशीष हमें कुछ ऐसा। धीरज धरै दूर हो क्लेशा।।
भावार्थ:-
हे प्रभु! इस तन पर जो भी बीते, उसको सहजता से काटूं, और हमारा मन कभी इससे विचलित ना हो।
हे प्रभु! हमें कुछ ऐसा ही आशिर्वाद दीजिए कि हर परिस्थिति में हम अपना धैर्य बनाए रखें और शीघ्र ही सारे दुःख क्लेश दूर हों जाए।
तन/ पे/ परै/ जो/ काट/ हमहूँ। विचलित/ ना/ हो/ प्रभु/ मन
२/ २/ १२/ २/ २१/ २२, २ २/ २/ २/ ११/ २/
कबहूँ।
२ २
दे/ आशीष/ हमें/ कछु/ ऐसा। धीरज/ धरै/ दूर/ हो/ क्लेशा।।
२/ २२१/ १२/ २/ २ २, २ २/ १२/ २१/ २/ २२
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