जहाँन को आजमाया है, तब जाना है।

जहाँँन को आजमाया है, तब जाना है।
लोगों को परखा है तब पहचाना है।

माता-पिता जैसा कोई अपना नहीं
उनसे दूर होना, इससे बुरा कोई सपना नहीं।

नि:स्वार्थ जो प्रेम करे, वह मां-बाप है
स्वार्थ के लिए जो साथ दे वह पालतू सांप है।

दुनिया में अब हर कोई, दिमाग़ चलाता है
इंसान तो क्या अब जानवर भी भाव खाता है।

लोगों की सोच तो क्या, फ़ितरत भी बदल गई
मतलब खत्म हुआ तो चाहत भी चली गई।

आजकल अपनों को तो दूर, भगवान को भी नहीं पूछते
विपत्ति ना पड़े तो, उन्हें भी नहीं पूजते।










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