फिर आना होगा तुमको!
राधा-रानी देख रही हैं राह और राहजान को बीते पहर नैन अलसाई मोहन संग क्यूं प्रीत लगाई।। ।।। आस जगी फिर आस मिटी उर चिंतित हुए बिन सुजान को बावरी सी घूम रही जोगन बन पंछी डाली-डाली।। ।।। पात-पात पर लिख रही यही आज नहीं तो कल कल नहीं तो कलियुग में फिर आना होगा तुमको।। ।।। हे! जग के पालन हार करने इस जग का उध्दार फिर से करने दुष्टों का संहार फिर से पाने राधा का प्यार ।।। कर रहा प्रतिक्षा यह संसार फिर आना होगा तुमको हे! जग के पालन हार हे! जग के पालन हार।। -©®K.K.Leelanath✍ https://khushithought.blogspot.com