जीवन रेखा कितनी छोटी?
जीवन रेखा कितनी छोटी?
हाथ की लकीरों से भी बौनी।
ज़र्द पड़ी जा रही दिन-ब-दिन
चेहरा भी मुरझा रहा है।
किस नीम हकीम की दवा से
चेहरा खिले फिर गुलाबों के जैसे।
धीरे-धीरे कुछ सिकन सी उभर
रही थी उसके चेहरे पे।
अब ख़ौफ भी मुझे सता रहा था
ग़र हार गई मैं इसकी बाज़ी ।
क्या होगा औरों का, जो चढ़ी नही
भेंट उन दरिंदों के ।
आखिर हुआ वही जिसका डर था
टूट गई सांसो की डोरी ।
जीवन रेखा कितनी छोटी?
हाथ की लकीरों से भी बौनी ।
हाथ की लकीरों से भी बौनी।
ज़र्द पड़ी जा रही दिन-ब-दिन
चेहरा भी मुरझा रहा है।
किस नीम हकीम की दवा से
चेहरा खिले फिर गुलाबों के जैसे।
धीरे-धीरे कुछ सिकन सी उभर
रही थी उसके चेहरे पे।
अब ख़ौफ भी मुझे सता रहा था
ग़र हार गई मैं इसकी बाज़ी ।
क्या होगा औरों का, जो चढ़ी नही
भेंट उन दरिंदों के ।
आखिर हुआ वही जिसका डर था
टूट गई सांसो की डोरी ।
जीवन रेखा कितनी छोटी?
हाथ की लकीरों से भी बौनी ।
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